हरिद्वार, अभिव्यक्ति न्यूज। विक्रमी संवत 2082 रविवार 30 मार्च से प्रारंभ हो गया है। सिद्धार्थी नाम के इस संवत के राजा भी सूर्य होंगे तथा मंत्री पद का दायित्व भी सूर्य के पास ही रहेगा। एक दिन पूर्व शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव ग्रहों के गुरु बृहस्पति की मीन राशि में प्रविष्ठ हो गए हैं। इस दिन सृष्टि संवत के अनुसार हमारी धरती 194 करोड़ वर्ष पुरानी हो गई है। इसके साथ ही वासंतिक नवरात्र भी शुरू हो गए हैं। भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव छह अप्रैल को मनाया जाएगा।
इस बार नौ नहीं आठ नवरात्र होंगे
हरिद्वार के ज्वालापुर निवासी तीर्थ पुरोहित कौशल सिखोला के अनुसार वासंतिक नवरात्र का आरंभ भी रविवार 30 मार्च से हो गया है। नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के कलश घर-घर स्थापित किए गए हैं और प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ चलेगा। इस बार नौ दिन की बजाय आठ नवरात्र होंगे। एक नवरात्र घट गया है, इसलिए भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव रामनवमी के रूप में 6 अप्रैल को मनाया जाएगा। जगह -जगह राम कथाएं और नवान्ह पारायण का प्रारंभ नव संवत्सर से हो गया है।
विक्रमी संवत के 60 नाम, हर साल नाम बदल कर आता
तीर्थ पुरोहित कौशल सिखोला के अनुसार उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य के नाम पर प्रचलित वर्तमान विक्रमी संवत के कुल 60 नाम हैं जो एक-एक कर प्रतिवर्ष आते हैं। इसके अतिरिक्त कई अन्य भारतीय महापुरुषों के नाम पर संवत्सर चल रहे हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सबसे पुराना संवत है सृष्टि संवत। इसका प्रतिपादन आदि ऋषियों ने किया। शास्त्रीय अवधारणाओं के अनुसार सृष्टि संवत प्रारंभ हुए 194 करोड़ वर्ष हो गए हैं। इसका निर्धारण चारों युगों की चतुर्युगी, मन्वंतर और कल्प गणना से होता है।
युगों पर आधारित है ज्योतिषीय कालगणना
तीर्थ पुरोहित कौशल सिखोला ने बताया कि ज्योतिषीय कालगणना युगों पर आधारित है। चारों युग 42 लाख वर्ष में बीतते हैं। मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण और गरुड़ पुराण में ही नहीं कालखंड का विवरण ऋग्वेद में भी उपलब्ध है। भारत में महापुरुषों के नाम से भी कई संवत आज भी प्रचलित हैं। कलयुग के आगामी अवतार कल्कि के नाम से चला कल्कि संवत 5123 वर्ष पुराना है।
विक्रमी संवत ईस्वी सन से 57 साल ज्यादा पुराना
तीर्थ पुरोहित कौशल सिखोला के अनुसार इसी प्रकार श्रीकृष्ण संवत 5256 वर्ष, सप्तऋषि संवत 5098, बुद्ध संवत 2645, महावीर संवत 2548, शक संवत 1945, हिजरी संवत 1444, फसली संवत 1430, नानकशाही संवत 555 तथा खालसा संवत 324 वर्ष पुराने हैं। ये समस्त संवत आज भी प्रचलित हैं। विक्रमी संवत 2082 अंग्रेजी ईस्वी सन 2025 से 57 साल पहले शुरू हुआ, यह प्रामाणिक है।
इन नौ दिनों में करें भगवान श्रीराम की आराधना

तीर्थ पुरोहित कौशल सिखोला ने बताया कि रविवार 30 मार्च से विक्रमी संवत 2082 प्रारंभ हो गया है। यह संवत ही सर्वत्र प्रचलित है। इस वर्ष का राजा सूर्य है तथा मंत्री भी सूर्य है। परिणामस्वरूप इस साल भीषण गर्मी पड़ेगी। नवरात्र भी रविवार 30 मार्च से ही शुरू हो गए हैं और अगले रविवार यानि पांच अप्रैल को ही संपन्न हो जाएंगे। आइए अपना नववर्ष मनाएं, पंचांग का पूजन करें, नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना करें। साथ ही भगवान राम के अवतरण दिवस छह अप्रैल की प्रतीक्षा करते हुए मानस पाठ प्रारंभ करें।
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