नई दिल्ली, अभिव्यक्ति न्यूज। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने महत्वपूर्ण फैसले पर बुलडोजर एक्शन {bulldozer action) पर नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सभी राज्यों को निर्देश देते हुए सख्त टिप्पणी भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने पर घर नहीं गिराया जा सकता, बिना मुकदमा किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आगे कहा कि प्रशासनिक अफसर जज नहीं बन सकते। अगर अवैध तरीके से घर तोड़ा जाए तो पीड़ित को मुआवजा दिया जाए। सप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए।

फाइल फोटो।

सुप्रीम कोर्ट ने घर तोड़ने को मौलिक अधिकार का हनन बताया

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन (bulldozer action) के जरिये घर तोड़ने को मौलिक अधिकार का हनन बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका केवल इस आधार पर किसी व्यक्ति का मकान नहीं गिरा सकती कि वह किसी अपराध में आरोपी या दोषी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कार्यपालिका किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकती। केवल आरोप के आधार पर, यदि कार्यपालिका किसी व्यक्ति की संपत्ति को ध्वस्त करती है, तो यह कानून के शासन पर हमला होगा। कार्यपालिका जज बनकर आरोपी व्यक्ति की संपत्ति को ध्वस्त नहीं कर सकती।

सरकारी अफसरों को जिम्मेदार ठहराना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना किसी प्रक्रिया को अपनाये सिर्फ इस आधार पर कि संबंधित व्यक्ति किसी अपराध में आरोपी है उस उस आधार पर इस तरह से संपत्तियां ध्वस्त करने वाले सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई आरोपी के परिवार पर ‘सामूहिक दंड’ लगाने के समान है।ध्वस्तीकरण के मामले पर फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने इसके लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

अवैध निर्माण हटाने का मौका दिया जाए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन (bulldozer action) पर दिए गए अपने फैसले में कहा है कि अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए संबंधित को मौका देना चाहिए। नोटिस में जानकारी दी जाए कि मकान अवैध कैसे है। अवैध निर्माण हटाने के लिए स्थानीय नगर निकाय के नियमों के मुताबिक नोटिस दिया जाए। नोटिस दिए जाने के 15 दिन के भीतर ध्वस्तीकरण की कोई कार्रवाई न हो। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि नोटिस की जानकारी जिला अधिकारी को भी दी जाए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भी आदेश की कॉपी भेजने के आदेश दिए हैं।

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश इन मामलों में नहीं लागू होगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम साफ करते हैं कि ये निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन से सटे या किसी नदी या जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनाधिकृत संरचना है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि आज का फैसला उन मामलों में भी लागू नहीं होंगा, जहां किसी न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया है।

हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेहद खुश : जमीयत उलेमा-ए-हिंद

देवबंद। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर आए फैसले पर कहा कि किसी इंसान की ज़िंदगी भर की कमाई से बने घर को गिराना कानून के खिलाफ है। जो किया जा रहा है वह गरीब लोगों की कमाई और ज़िंदगी की पूरी मेहनत एक बार में खराब कर देना है। जो केस हुए थे, उसमें जो व्यक्ति किराये के जिस मकान में रहता है उस मकान को गिरा दिया गया। उस घर में मां-बाप, भाई-बहन और बीवी-बच्चे भी रह रहे हैं। एक आदमी से गलती हो गई तो उन सभी की दुनिया को जहन्नुम बना देना यह बुलडोजर एक्शन के नतीजे थे। हम कोर्ट के फैसले से बेहद खुश हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार को जोरदार तमाचा है : चंद्रशेखर आजाद

आजाद समाज पार्टी के मुखिया और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पर कहा कि ये भाजपा की उत्तर प्रदेश की सरकार को जोरदार तमाचा है। बिना दोषी सिद्ध हुए या कोर्ट के निर्णय के आप किसी का घर नहीं गिरा सकते हैं। मैं इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करता हूं।

बुलडोजर का आतंक अब जरूर समाप्त होगा : मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर विध्वंसों से जुड़े आज के फैसले और तत्संबंधी कड़े दिशा-निर्देशों के बाद यह उम्मीद की जानी चाहिए कि यूपी और अन्य राज्यों की सरकारें जनहित और जन कल्याण का सही तथा सुचारु रूप से प्रबंधन करेंगी और बुलडोजर का छाया आतंक अब जरूर समाप्त होगा।

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार की सधी प्रतिक्रिया

लखनऊ। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर यूपी सरकार की ओर से बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया आई है। कहा गया है कि सुशासन की पहली शर्त होती है क़ानून का राज। इस दृष्टि से माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आज दिया गया फ़ैसला स्वागत योग्य है। इस फ़ैसले से अपराधियों के मन में क़ानून का भय होगा। इस फ़ैसले से माफ़िया प्रवृति के तत्व या संगठित पेशेवर अपराधियों पर लगाम कसने में आसानी होगी। क़ानून का राज सब पर लागू होता है। यद्यपि यह आदेश दिल्ली के संदर्भ में था, उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी नहीं थी।

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