नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन देने से जुड़े अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बार फिर से योग गुरु स्वामी रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के माफीनामा को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण के माफीनामा को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा तब किया, जब उनकी गलती पकड़ी गई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहने को कहा है।स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत में हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगा था और कहा था कि भविष्य इस तरह की भूल दोबारा नहीं होगी।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि माफीनामा सिर्फ कागजी दिखावा है, हम इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं और अदालत के आदेश की जानबूझकर किया गया उल्लंघन मानते हैं। पीठ ने पतंजलि की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि अदालत में उनकी माफी केवल कागज पर है, ऐसे में प्रस्तावित अवमाननाकर्ताओं को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता रोहतगी ने कहा कि लोग गलतियां करते हैं। इस पर जस्टिस कोहली ने कहा कि तब उन्हें परिणाम भुगतना पड़ता है, ध्यान रहे हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते। पीठ ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बाद, उन्होंने अदालत में निजी रूप से पेश होने से बचने का प्रयास किया जो कि सबसे अस्वीकार्य है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले के पूरे इतिहास और अवमाननाकर्ताओं के पिछले रवैये को ध्यान में रखते हुए, हमने उनके द्वारा दाखिल नये हलफनामे को स्वीकार करने के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त की है और 16 अप्रैल को मामले की दोबारा सुनवाई होगी।

उत्तराखंड सरकार को फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों के लेकर जारी भ्रामक विज्ञापन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं किए जाने के लिए उत्तराखंड सरकार को भी आड़े हाथ लिया। शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को भी कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वह इसे हल्के में नहीं लेगी क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि प्राधिकरण ने जानबूझकर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने राज्य के लाइसेंसिंग प्राधिकरण की ओर से पेश अधिवक्ता को असामान्य रूप से कड़ी फटकार लगाई और कहा कि हम आपकी बखिया उधेड़ देंगे। पीठ से राज्य के लाइसेंसिंग प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए कहा कि वह यह जानकर चकित हैं कि फाइलों को आगे बढ़ाने के अलावा, विभाग के सक्षम अधिकारियों ने कुछ नहीं किया और पिछले चार-पांच सालों से इस मसले पर गहरी नींद में सो रहे थे। शीर्ष अदालत ने कहा कि तथ्यों और विभाग के रवैये से साफ पता चलता है कि अधिकारियों और पतंजलि आयुर्वेद के साथ मिलीभगत है। पीठ ने लाइसेंसिंग प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें कानून के मुताबिक काम करना चाहिए था। पीठ ने प्राधिकरण के पूर्ववर्ती संयुक्त निदेशक को अपने कार्यकाल के दौरान अपनी ओर से निष्क्रियता के बारे में बताते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, पीठ ने हरिद्वार के 2018 से लेकर अब तक तैनात जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारियों से भी अपनी-अपनी निष्क्रियता के बारे में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

आपके माफीनामा को उसी उपेक्षा से क्यों न लें, जैसा अदालत के आदेशों को दिखाया

पतंजलि उत्पादों को लेकर भ्रामक विज्ञापन से जुड़े अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को योग गुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि हम सोच रहे हैं कि हमें आपकी माफीनामा को उसी उपेक्षा के साथ क्यों नहीं लेना चाहिए, जैसा आपने अपने इस अदालत के आदेशों को दिखाया है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हम माफीनामा से संतुष्ट नहीं हैं और इसे स्वीकार भी नहीं कर रहे हैं।
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि अब समाज में एक संदेश जाना चाहिए और इसमें हम किसी तरह की नरमी नहीं बरत रहे हैं। पीठ ने कहा कि जो माफीनामा अदालत की रिकार्ड पर है, वह सिर्फ कागजों पर है। पीठ ने कहा कि हमें लगता है कि गलत कदम उठाया गया है और देखा है कि उनकी पीठ वास्तव में दीवार के खिलाफ है। पीठ ने कहा कि हम माफीनामा को स्वीकार करने या माफ करने से इनकार करते हैं।

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