लखनऊ। मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार को निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। राना की बेटी सोमैया राना ने बताया कि उनके पिता का रविवार देर रात लखनऊ स्थित संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से गले के कैंसर से पीड़ित थे। हालत बिगड़ने पर मंगलवार को पीजीआई में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि राना को सोमवार को उनकी वसीयत के मुताबिक लखनऊ में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। सोमैया ने बताया कि उनके परिवार में उनकी मां, चार बहनें और एक भाई हैं।
मुनव्वर राना की नज्म ‘मां’ का उर्दू साहित्य जगत में एक अलग स्थान
हिंदुस्तान के मशहूर शायरों में शुमार किए जाने वाले मुनव्वर राना की नज्म ‘मां’ का उर्दू साहित्य जगत में एक अलग स्थान है। उन्हें मंगलवार को गंभीर हालत में को पीजीआई में भर्ती कराया गया था। इससे पहले निजी अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें गुर्दा, दिल व फेफड़े से जुड़ी दिक्कतें थी। पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद के निर्देशन में डॉक्टरों की टीम मुनव्वर राना का इलाज कर रही थी। इससे पहले भी वह कई बार पीजीआई में भर्ती हो चुके थे। गुर्दे की बीमारी के चलते उनकी डायलिसिस चल रही थी।
2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला
सोमैया राना ने बताया कि मुनव्वर राना का जन्म 26 नवंबर 1952 को रायबरेली में हुआ था। वे लखनऊ के लालबाग में परिवार के साथ रहते थे। उन्होंने बताया कि राना को सोमवार को उनकी वसीयत के मुताबिक लखनऊ में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। सोमैया ने बताया कि उनके परिवार में उनकी मां, चार बहनें और एक भाई हैं। उनकी एक कविता शाहदाबा के लिए उन्हें 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
गजलों के अच्छे फनकार थे
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनके बहुत से नजदीकी रिश्तेदार और पारिवारिक सदस्य देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे लेकिन तनाव के बावजूद मुनव्वर राना के पिता ने अपने देश में ही रहने को ही अपना कर्तव्य समझा। मुनव्वर राना की शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता (कोलकाता) में हुई। राना ने गजलों के अलावा संस्मरण भी लिखे। उनके लेखन की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी रचनाओं का उर्दू के अलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया।