नई दिल्ली, अभिव्यक्ति न्यूज। वक्फ (संशोधन) बिल शनिवार की देर रात में कानून बन गया। केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों को खुर्द-बुर्द होने से बचाने का वायदा पूरा किया। केंद्र सरकार का दावा है कि इस बिल के कानून बनने से गरीब और पसमांदा मुसलमानों के साथ ही मुस्लिम समाज की महिलाओं को लाभ पहुंचेगा। इसके साथ ही एएसआई संरक्षित इमारतों से वक्फ बोर्ड का दावा भी समाप्त हो गया। संसद के बजट सत्र के दौरान संसद में पारित वक्फ संशोधन विधेयक-2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शनिवार की देर रात अपनी मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया। इसके साथ यह विधेयक कानून बन गया है।

चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने जताई थी कड़ी आपत्ति

सरकार ने संसद में पेश करने से पहले इसे यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट विधेयक (उम्मीद) 2025 नाम दिया था। राज्यसभा में 13 घंटे से ज्यादा समय तक चली बहस के बाद इस विधेयक को शुक्रवार तड़के मंजूरी दी थी। इसके समर्थन में 128 वोट और विरोध में 95 वोट पड़े थे। चर्चा के दौरान विपक्षी दलों की ओर से विधेयक को ‘मुस्लिम विरोधी’ और ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए कड़ी आपत्तियां जताई गई थीं। सरकार की ओर से कहा गया था कि इस ‘ऐतिहासिक सुधार’ से अल्पसंख्यक समुदाय को लाभ होगा। लोकसभा ने पहले ही विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून भी बन गया है।

गरीब और पसमांदा मुसलमानों के साथ मुस्लिम महिलाओं के सुधरेंगे हालत

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक के बारे में दावा है किया कि कानून बनने के बाद देश के गरीब एवं पसमांदा मुसलमानों के साथ ही इस समुदाय की महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में काफी मदद मिलेगी। इससे पहले गुरुवार को इसे लोकसभा में पारित किया गया था। लोकसभा में 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया था, जबकि 232 सदस्यों ने विरोध में वोट किया था। संसद ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक को भी मंजूरी दे दी है, जिसे राज्यसभा ने भी मंजूरी दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में वक्फ (संशोधन) विधेयक की वैधता को चुनौती देते हुए कहा कि यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।

नए कानून में एएसआई संरक्षित स्मारकों से वक्फ का दावा खारिज

वक्फ (संशोधन) विधेयक जो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद कानून बन गया है, इसमें कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं। साथ ही कई प्रावधानों में संशोधन किया गया है। इसके तहत वक्फ बोर्ड अब किसी भी संपत्ति पर मनमाने तरीके से दावा नहीं कर सकता है। विवाद की स्थिति में अदालत में भी चुनौती दी जा सकती है और पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकता है। सबसे खास यह है कि एएसआई संरक्षित स्मारकों पर वक्फ का दावा सिरे से खत्म हो जाएगा।

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