अयोध्या। नव निर्मित राममंदिर में मकराना मार्बल के बने अष्टकोणीय खूबसूरत गर्भगृह में श्यामवर्णी रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगी राज द्वारा बनाए गए इस विग्रह पर सोमवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने मुहर लगा दी। तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने यह भी स्पष्ट किया कि अयोध्या में वर्तमान में भगवान श्रीरामलला की मूर्ति की पूजा अर्चना की जा रही है, उन्हें भी नए मंदिर के गर्भ गृह में ही स्थापित किया जाएगा और नई प्रतिमा के साथ-साथ उनकी भी एक समान पूजा अर्चना की जाएगी।
महीनों मोबाइल से दूर रहे अरुण योगी राज
श्रीरामलला की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार ने प्रतिमा बनाने के दौरान कार्य में खलल न पड़े, इसके लिए महीनों अपने परिजनों से बातचीत तक नहीं की। यहां तक की बच्चों की सूरत भी नहीं देखी। उनकी एकाग्रता की मिसाल सोमवार को चंपत राय ने सभी के समक्ष रखी। कहा कि प्रतिमा का निर्माण करने वाले मैसूर के निवासी अरुण योगीराज ने मूर्ति निर्माण कार्य के दौरान जिस तरह से जीवन व्यतीत किया है शायद आप सोच भी नहीं सकते। कार्य के दौरान महीनों तक फोन को हाथ तक नहीं लगाया। कहा कि अरुण योगीराज अनेक पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण के कार्य से जुड़े हैं। उनके पूर्वज भी यही काम करते आ रहे हैं। केदारनाथ में शंकराचार्य की प्रतिमा उन्होंने ही बनाई है। दिल्ली में इंडिया गेट के नीचे सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी उन्होंने ही बनाई है। श्रीरामलला की मूर्ति चयन की प्रक्रिया में उन्हीं की मूर्ति का चयन किया गया। बताया कि वोटिंग के दौरान मौजूद सभी 11 ट्रस्टीज ने उनकी मूर्ति की प्रशंसा की है। विग्र्रह का वजन अनुमानित 150 से 200 किलो के बीच होगा। जो खड़ी प्रतिमा के रूप में स्थापित की जानी है।
18 जनवरी को गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे श्रीरामलला
22 जनवरी को अयोध्या धाम में अपने नव्य भव्य मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी, जबकि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है उसे 18 जनवरी को गर्भ गृह में अपने आसन पर खड़ा कर दिया जाएगा। 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी अभिजित मुहुर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी गणेश्वर शास्त्री ने निकाला, कर्मकांड की संपूर्ण विधि वाराणसी के ही लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा कराई जाएगी।अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू होकर 21 जनवरी तक चलेगा। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम आवश्यक गतिविधियां आयोजित होंगी।
मंदिर परिसर में 17 जनवरी को हो जाएगा प्रवेश
चंपत राय ने बताया कि 16 को प्रायश्चित एवं कर्मकुटी पूजन, राममंदिर परिसर में 17 को ही नवीन विग्रह का प्रवेश कराया जाएगा। 18 की शाम तीर्थ पूजन एवं जल यात्रा, जलधिवास एवं गंधाधिवास, 19 जनवरी की सुबह औषधाधिवास, केसराधिवास, घृतादिवास, व शाम को धान्याधिवास, बीस जनवरी को सुबह शर्कराधिवास, फलाधिवास, एवं शाम को पुष्पाधिवास होगा। इसी तरह से 21 जनवरी को सुबह मध्याधिवास, शाम को शययाधिवास होंगे।इस तरह से कुल 12 धिवास कराए जाएंगे। मंदिर परिसर में ईशान कोण पर बने यज्ञ शाला में 9 यज्ञ कुंडों में 121 आचार्य जरूरी अनुष्ठान कराएंगे।
गर्भगृह में ही रहेंगे रामलला विराजमान
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भगवान की वर्तमान प्रतिमाएं जिनकी उपासना, सेवा, पूजा लगातार 70 साल (1950 से) से चली आ रही है, वो भी मूल मंदिर के मूल गर्भ गृह में ही उपस्थित रहेंगी। उन्होंने बताया कि जैसे अभी उनकी पूजा और उपासना की जा रही है, वैसी ही 22 जनवरी से भी अनवरत की जाएगी। उन्होंने ये भी बताया कि पुरानी प्रतिमाओं के साथ-साथ श्रीरामलला की नई प्रतिमा को भी अंग वस्त्र पहनाए जाएंगे। मालूम हो कि वर्तमान में जिस मंदिर में श्रीरामलला की पूजा होती है, वहां श्रीरामलला अपने तीनों भाइयों के संग विराजमान हैं।