अयोध्या। विराजमान रामलला के भव्य-दिव्य मंदिर के भूतल में स्वर्ण जड़ित 14 दरवाजों की फिटिंग का काम मंगलवार को पूरा हो गया है। इन दरवाजों पर स्वर्ण पत्तल जड़ने के लिए कितनी मात्रा में सोने का इस्तेमाल हुआ, इसकी ठीक-ठाक जानकारी किसी अधिकृत व्यक्ति ने नहीं दी। फिर भी श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपत राय का कहना है कि दरवाजों में इतना सोना मढ़ा गया है कि एक दरवाजे पर स्वर्ण जड़ने से इसकी लागत सात करोड़ हो गई है।
चंपत राय ने दी स्वर्ण जड़ित दरवाजों की कीमत की जानकारी
तीर्थ क्षेत्र महासचिव ने यह जानकारी उस समय दी जब कारसेवकपुरम में श्रद्धालुओं का एक जत्था एक हजार चांदी (रजत) कमल लेकर पहुंचा। श्रद्धालुओं के जत्थे के सदस्यों ने तीर्थ क्षेत्र महासचिव को रजत कमल भेंट करते हुए आग्रह किया कि इसका जहां भी उपयोग समझें, वहां उपयोग करें। इस पर तीर्थ क्षेत्र महासचिव ने कहा कि आखिर इनकी क्या उपयोगिता हो सकती है। फिलहाल अब लाए तो हमें स्वीकार करना होगा।
भूतल के 14 दरवाजे हैं स्वर्ण जड़ित
राम मंदिर के दरवाजों का निर्माण करने के लिए लार्सन एंड टुब्रो की ओर से अनुबंधित मेसर्स अनुराधा टिम्बर इंटरनेशनल, हैदराबाद के पार्टनर प्रबंध निदेशक सी.एच शरद बाबू ने बताया कि मंदिर के सभी 14 दरवाजे लगवा दिए गये है। उन्होंने बताया कि भूतल में 18 दरवाजे लगाए जाने हैं जिनमें 14 को स्वर्ण मंडित किया गया है।
चार अलग-अलग डिजाइन के लगाए गये है दरवाजे
बताया गया कि राम मंदिर के लिए चार अलग-अलग डिजाइन के दरवाजे तैयार किए गये थे। गर्भगृह का दरवाजा चार पल्ले का फोल्डिंग दरवाजा है। उन्होंने बताया कि यह दरवाजे महाराष्ट्र के सागौन की लकड़ी से बनाए गये है। इनकी आयु हजार साल से अधिक है। बताया गया कि पहले चरण में दो हजार क्यूबिक फीट लकड़ी मंगाई गई थी।
चार सौ क्यूबिक फीट लकड़ी का इस्तेमाल
प्रथम तल के लिए बनाए गए 18 दरवाजों में चार सौ क्यूबिक फीट लकड़ी का इस्तेमाल हो चुका है। उन्होंने बताया कि शेष लकड़ी को सुरक्षित रखवा दिया गया है और समय पर दोबारा प्रथम व द्वितीय तल के दरवाजों का निर्माण किया जाएगा। बताया गया कि भूतल के हर दरवाजे का वजन एक से डेढ़ कुंतल है।