देहरादून। हरिद्वार में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए शार्प शूटर अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू के तार खालिस्तानी आतंकवाद से जुड़े थे। आशंका है कि बाबा तरसेम की हत्या के पीछे खालिस्तानी आतंकियों की साजिश हो सकती है। पुलिस जांच में अब तक सामने आए तथ्यों से यह आशंका पुख्ता हो रही है। पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इस हत्याकांड को तराई में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की साजिश के रूप में भी सोशल मीडिया पर चलाया गया था।

देहरादून में मंगलवार को डीजीपी अभिनव कुमार ने अमरजीत सिंह के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मारा गया बदमाश काफी बड़ा गैंगस्टर था। हत्या के बाद सोशल मीडिया पर इस घटना को धार्मिक रंग देकर तराई में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश के रूप में इस्तेमाल करने की भी कोशिश की गई। उन्होंने बताया कि बाबा तरसेम की हत्या के लिए धर्म विशेष से जुड़े लोगों को लाने के पीछे भी इसको सांप्रदायिक रूप देने की साजिश लग रही है। अब तक की पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि अमरजीत सिंह खालिस्तानी आंतकवाद से भी जुड़ा था। उसके खिलाफ 1991 में रामपुर, यूपी के बिलासपुर में खालिस्तानी आतंकियों को पनाह देने के चलते टाडा में मुकदमा दर्ज हुआ था।

हुलिया बदलकर घूम रहा था अमरजीत
बाबा तरसेम सिंह की हत्या के बाद आरोपी अमरजीत सिंह हत्या में प्रयुक्त बिना नंबर की बाइक लेकर लगातार ठिकाने बदल रहा था। पुलिस के मुताबिक, हत्या को अंजाम देने के बाद आरोपी ने पग हटाकर हुलिया बदल लिया था। हालांकि पुलिस इलेक्ट्रानिक सर्विलांस और मुखबिरी के आधार पर पुलिस उस तक पहुंचने में कामयाब रही।

10 लाख की सुपारी लेकर की थी हत्या
डीजीपी अभिनव कुमार ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है। अभी तक की जांच में साफ हुआ है कि अमरजीत सिंह और उसके साथी सरबजीत सिंह को 10 लाख रुपये की सुपारी देकर बाबा तरसेम सिंह की हत्या कराई गई थी।

गैंगस्टर गोल्डी और लारेंस से संबंध की भी जांच
बाबा तरसेम हत्याकांड में शामिल आरोपियों के संपर्क पंजाब में नशे और कबूतरबाजी गैंग से जुड़े लोगों से भी हो सकते हैं। साथ ही इन आरोपियों के गैंगस्टर गोल्डी बरार और लारेंस विश्नोई से संबंधों की भी जांच की जा रही है। डीजीपी अभिनव कुमार के मुताबिक, इस हत्याकांड में जिन भी आरोपियों के नाम सामने आ रहे हैं, उनके अपराध से हर तरह के संपर्कों की जांच की जा रही है। जांच में जो तथ्य सामने आएंगे उसी हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी।

जांच के बाद तय होगी पूर्व आईएएस की भूमिका
मामले में नामजद पूर्व आईएएस हरबंस चुघ की भूमिका के सवाल पर डीजीपी ने कहा कि अभी जांच चल रही है। लोगों के शक के आधार पर एफआईआर में कुछ लोगों को नामजद किया गया है, लेकिन उनकी भूमिका को लेकर अभी कोई पुख्ता सबूत पुलिस को नहीं मिला है। जांच के बाद जो भी सामने आएगा उसके बाद ही पूर्व आईएएस और अन्य की भूमिका तय होगी और उन पर कार्रवाई होगी।

हत्याकांड के पीछे बड़े लोगों का हाथ : डीजीपी
डीजीपी अभिनव कुमार के मुताबिक जिस तरह से पूरी घटना को अंजाम दिया गया, उससे इसके पीछे कुछ बड़े लोगों को हाथ हो सकता है। बदमाशों को विशेष तौर पर बुलाकर ठहराया गया। उनको हथियार और हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई गई। कई दिन तक रेकी की गई। साथ ही हत्या के बाद जिस तरह से आरोपी सुरक्षित यहां से निकल गए, वह जांच का विषय हैं। इन सब सवालों का जल्द खुलासा किया जाएगा।

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