प्रयागराज, अभिव्यक्ति न्यूज। Prayagraj Maha Kumbh में आचार्य Mahamandaleshwar कैलाशानंद गिरि, संत समाज और श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति में शनिवार को श्री पंचायती Niranjani Akhara के Mahamandaleshwar पद पर पांच संतो कों अभिषिक्त किया गया। Prayagraj Maha Kumbh में स्थापित निरंजनी अखाड़े की छावनी में संपन्न हुए पट्टाभिषेक समारोह में अखाड़ों के संत महापुरुषों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूर्ण विधि विधान से तिलक चादर प्रदान कर Mahamandaleshwar पद पर अभिषेक किया और संत महापुरुषों ने उन्हें आशीर्वाद देकर शुभकामनाएं दीं।

अखाड़ा परंपरा को आगे बढ़ाएंगे युवा Mahamandaleshwar : महंत रवींद्र पुरी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने बताया कि शनिवार को स्वामी कृष्णनंद पुरी (चंडीगढ़), स्वामी आदि योगी पुरी ( ऋषिकेश,उत्तराखंड), स्वामी भगवती पुरी माता (मुम्बई, महाराष्ट्र), साध्वी मीरा गिरि (किशनगढ़, राजस्थान) स्वामी आदित्यनंद गिरि (वृंदावन) का पट्टाभिषेक कर उन्हें Mahamandaleshwar बनाया गया है। उन्होंने कहा की देश को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से एकजुट करने में संत-महापुरुषों ने हमेशा अहम भूमिका निभाई है। निंरजनी अखाड़े के नवनियुक्त Mahamandaleshwar आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा धर्म रक्षा के लिए स्थापित अखाड़ा परंपरा को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे।

साधना और योग में अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं Mahamandaleshwar

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि Mahamandaleshwar का पद प्राप्त करने की परंपरा विशेष रूप से प्रमुख अखाड़ों में अधिक प्रचलित है। इस पद की परंपरा यह है कि इसे उस संत महंत को दिया जाता है, जिसने अपने जीवन में विशेष धार्मिक तप, साधना और समाज सेवा के कार्य किए हैं। यह पद, उन संत और महंतों को दिया जाता है जो अपने अखाड़े या संप्रदाय का नेतृत्व करते हैं और जो अपने ज्ञान और योग्यता के कारण समुदाय में सम्मानित होते हैं।उन्होंने कहा कि Mahamandaleshwar का मुख्य कर्तव्य अपने संप्रदाय के संत महापुरुषों और भक्तों का मार्गदर्शन करना है। वे उन्हें धार्मिक जीवन जीने, साधना और योग में सक्षम बनाते हैं।

समाज और संप्रदाय के प्रति जिम्मेदार होते हैं Mahamandaleshwar : कैलाशानंद गिरि

श्री पंचायती Niranjani Akhara के आचार्य Mahamandaleshwar स्वामी कैलाशानन्द गिरि ने कहा की जो संत महापुरुष Mahamandaleshwar का पद प्राप्त करते हैं उनका अखाड़े में एक विशेष स्थान और विशेष सम्मान होता है। उन्होंने कहा कि Mahamandaleshwar के कर्तव्यों में अनेक धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारियां शामिल होती हैं। यह कर्तव्य न केवल उनके व्यक्तिगत आचरण से जुड़े होते हैं, बल्कि समाज और संप्रदाय के प्रति उनके दायित्वों का भी हिस्सा होते हैं।

Mahamandaleshwar बनने में गुरु-शिष्य परंपरा का होता है पालन : बालकानंद गिरि

आनंद अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य Mahamandaleshwar स्वामी बालकानंद गिरि ने कहा कि Mahamandaleshwar बनने की प्रक्रिया में गुरु-शिष्य परंपरा का पालन किया जाता है। एक योग्य व्यक्ति को इस पद पर नियुक्ति देने के लिए अखाड़े के प्रमुख संतों और गुरुजनों की सहमति आवश्यक होती है। यह पद केवल उन संतों को दिया जाता है, जिनके पास गहरी धार्मिक शिक्षा, अनुभव और समाज के प्रति उनकी सेवा के प्रमाण होते हैं।

Mahamandaleshwar बोले, सच्ची निष्ठा से करेंगे पद की गरिमा की रक्षा

Mahamandaleshwar बने स्वामी आदि योगी पुरी महाराज ने कहा कि जो जिम्मेदारी मुझे Niranjani Akhara के संत महापुरुषों ने दी है उसका निर्वाह सच्ची निष्ठा से करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी गुरुजन मेरे लिए परमात्मा का दूसरा रूप हैं। पांचों नवनियुक्त Mahamandaleshwar ने सभी संत महापुरुषों के चरण छूकर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर ब्रह्मऋषि कुमार स्वामी, अखाड़ा सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरि, Mahamandaleshwar स्वामी प्रेमानन्द गिरि (अर्जी वाले हनुमान जी, उज्जैन), Mahamandaleshwar स्वामी ललिता नंद गिरि, Mahamandaleshwar स्वामी अनंतानंद गिरि, Mahamandaleshwar स्वामी आनंदमई माता, महंत दिनेश गिरि, महंत राजगीर, महंत राधे गिरि, महंत भूपेन्द्र गिरि, महंत ओमकार गिरि, डॉ. आदियानन्द गिरि के संग अनेक संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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