नई दिल्ली, अभिव्यक्ति न्यूज। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायपालिका के 50वें प्रमुख के रूप में शुक्रवार को अपने अंतिम कार्य दिवस पर कहा कि जरूरतमंदों और उन लोगों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं है, जिन्हें वह नहीं जानते थे या जिनसे कभी नहीं मिले थे। उन्होंने कोर्ट में शुक्रवार को अपनी आखिरी बात बोलकर सबसे विदा ली। कहा कि कोर्ट में कभी मुझसे किसी का दिल दुखा हो तो उसके लिए मुझे क्षमा कर दें, क्योंकि कोर्ट में मेरी ऐसी कोई भावना नहीं रही। उन्होंने ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ वाक्यांश का उपयोग किया। इसका अर्थ है, “जो भी बुरा किया गया है वह व्यर्थ हो जाए।” यह एक प्राचीन भारतीय भाषा प्राकृत का वाक्यांश है। इसका संस्कृत में अनुवाद है “मिथ्या मे दुष्कृतम्”।

अदालत ने मुझे हर रोज सीखने का मौका दिया

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को अपने आखिरी कार्य दिवस पर चार न्यायाधीशों की रस्मी पीठ की अध्यक्षता की। यह पीठ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को विदाई देने के लिए बैठी थी। प्रधान न्यायाधीश ने न केवल अपने कार्य बल्कि देश की सेवा करने का मौका मिलने के लिए भी संतुष्टि व्यक्त की। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नौ नवंबर, 2022 को प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किये गए थे। वह रविवार यानि 10 नवंबर को पदमुक्त हो जायेंगे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस मौके पर कहा कि आपने मुझसे पूछा कि मुझे कौन सी बात आगे बढ़ाती है, तो यह अदालत ही है जिसने मुझे आगे बढ़ाया है। मुझे ऐसा एक भी दिन नहीं लगा जब यह लगा कि हमने कुछ नहीं सीखा है या हमें समाज सेवा का मौका नहीं मिला है।

जरूरतमंदों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं

भावुक मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जरूरतमंदों और उन लोगों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं है, जिनसे आप कभी नहीं मिल पाएंगे, जिन्हें आप संभवतः जानते भी नहीं हैं। अपने संबोधन में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने एक युवा विधि छात्र के रूप में न्यायालय की अंतिम पंक्ति में बैठने से लेकर शीर्ष न्यायालय के गलियारों तक के अपने सफर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा इस न्यायालय के महान लोगों की प्रभावशाली मौजूदगी और इस पद पर बैठने के साथ आने वाली जिम्मेदारी से अवगत था, लेकिन दिन के अंत में यह किसी व्यक्ति के बारे में नहीं है। यह संस्था और न्याय के उद्देश्य के बारे में है जिसे हम यहां बनाए रखते हैं। उन्होंने अपने सहयोगियों की प्रशंसा की।

कानून और जीवन के बारे में समझ बढ़ाने में सभी की भूमिका रही

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायालय के भविष्य के प्रति भी अपना विश्वास व्यक्त किया तथा विधिक समुदाय को आश्वस्त किया कि उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना इसी समान समर्पण और दूरदर्शिता के साथ न्यायालय का नेतृत्व करेंगे। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने उनकी इस यात्रा में योगदान देने वाले सभी लोगों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, कनिष्ठों, अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही स्वीकार किया कि उनमें से प्रत्येक ने कानून और जीवन के बारे में उनकी समझ को आकार देने में भूमिका निभाई।

आपकी कमी बहुत खलेगीः न्यायमूर्ति संजीव खन्ना

मुख्य न्यायाधीश ने अनजाने में हुई किसी भी गलती या गलतफहमी के लिए माफी मांगते हुए कहा कि यदि मैंने कभी किसी को ठेस पहुंचाई हो तो मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने प्रधान न्यायाधीश को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी कमी बहुत खलेगी। एससीबीए अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायमृर्ति चंद्रचूड़ असीम धैर्य वाले न्यायाधीश रहे। क्रिकेट प्रेमी न्यायमृर्ति चंद्रचूड़ जून 1998 में बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गए थे और 29 मार्च 2000 को बम्बई उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने से पहले उन्होंने अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया था। बाद में वह 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने थे।

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