देहरादून, अभिव्यक्ति न्यूज। विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार की रात शुभ मुहुर्त में शीतकाल के लिए बंद हो गए। हजारों श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। अब योग बदरी पांडुकेश्वर और श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में 19 नवंबर से शीतकालीन पूजाएं प्रारंभ होंगी। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही इस वर्ष के लिए Chardham Yatra भी सकुशल संपन्न हो गई। उल्लेखनीय है कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट पहले ही बंद हो चुके हैं।

तुलसी और हिमालयी फूलों से किया गया भगवान बदरीनाथ का श्रृंगार

श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से रविवार को 15 कुंतल फूलों से बदरीनाथ मंदिर की आकर्षक सजावट की गई। बदरीनाथ मंदिर रविवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त पर चार बजे खुला। पूर्व की भांति साढ़े चार बजे अभिषेक पूजा हुई। भगवान बदरीनाथ का तुलसी और हिमालयी फूलों से श्रृंगार किया गया। तड़के से ही श्रद्धालुओं का दर्शन के लिए मंदिर पहुंचना शुरू हो गया था। दिन भर दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रही। बदरीनाथ मंदिर में शाम 6.45 बजे सायंकालीन पूजा शुरू हुई। देर शाम 7.45 बजे रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी माता को बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश कराया। रात 8.10 बजे शयन आरती हुई।

माणा गांव की कन्याओं द्वारा तैयार घृत कंबल भगवान बदरीनाथ को ओढ़ाया गया

भगवान बदरीनाथ की शयन आरती पूरी होने के साथ ही कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई। रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट और अमित बंदोलिया ने कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की। रात सवा आठ बजे माणा गांव की कन्याओं द्वारा तैयार घृत कंबल भगवान बद्रीनाथ को ओढ़ाया गया। तत्पश्चात अखंड ज्योति जलाकर सेना के बैंड की धुनों के बीच रात 9.07 बजे भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसी के साथ मंदिर परिसर भगवान बदरीनाथ के जयकारों से गूंज उठा। कपाट बंद होने तक दस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए।

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