नई दिल्ली, अभिव्यक्ति न्यूज। केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से अंग्रेजों के जमाने के कानूनों में बदलाव कर रही है। अब न्यायपालिका भी बदलाव की राह पर चल निकला है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देशन में न्याय की प्रतीक देवी की मूर्ति में खास बदलाव किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की लाइब्रेरी में न्याय की प्रतीक देवी की नई प्रतिमा लगाई गई है। पहले देवी की आंखों पर पट्टी बंधी होती थी और उनके एक हाथ में तराजू, जबकि दूसरे में सजा की प्रतीक तलवार थी। अब न्याय की प्रतीक देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटा दी गई और तलवार के स्थान पर भारतीय संविधान दिया गया।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने निभाई खास भूमिका

न्याय की प्रतीक देवी की मूर्ति में बदलाव भारतीय संविधान लागू होने के 75वें वर्ष में किया गया है। जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की इस बदलाव में खास भूमिका है। उनके निर्देश पर देवी की प्रतीक प्रतिमा बदली गई है। न्याय की प्रतीक देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटा दी गई है। एक हाथ में पहले तलवार थी, उसकी जगह अब भारतीय संविधान ने ले ली। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की लाइब्रेरी में नई प्रतिमा लगाई गई है।

अंग्रेजों के कानूनों से आगे निकलने की जरूरत : मुख्य न्यायाधीश

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का मानना है कि भारत को अंग्रेजी विरासत से आगे निकलने की जरूरत है। कानून कभी अंधा नहीं होता। वह सभी को एकसमान रूप से देखता है, इसलिए न्याय की प्रतीक देवी का स्वरूप भी बदला जाना चाहिए। ऐसे में आंखों पर पट्टी की जरूरत नहीं है। हाथ में संविधान संदेश देता है कि न्याय संविधान के अनुसार किया जाता है। दूसरे हाथ में तराजू, प्रतीक है कि कानून की नजर में सभी समान हैं।

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