इस्लामाबाद। पाकिस्तान में मौत की सजा पाए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हत्या के आरोपी अमीर सरफराज उर्फ तांबा की अज्ञात बंदूकधारियों ने दुस्साहस दिखाते हुए लाहौर में गोली मारकर हत्या कर दी। वह लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी सहयोगी था। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान में लाहौर के इस्लामपुरा इलाके में मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने तांबा पर हमला किया। इस हमले में वह गंभीर रूप जख्मी हो गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। वारदात को उस वक्त अंजाम दिया गया, जब वह अपनी कार से कहीं जा रहा था। उसका जन्म 1979 में लाहौर में हुआ था। उसके पिता का नाम सरफराज जावेद है।
गलती से सीमा पार कर गए थे
सरबजीत सिंह पंजाब के तरनतारन के रहने वाले थे। वह गलती से साल 1990 में सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे, जहां पर पड़ोसी मुल्क के जवानों ने उनको गिरफ्तार कर लिया और उन पर जासूसी के झूठे आरोप लगा दिए। हालांकि उस वक्त सरबजीत सिंह ने तर्क दिया था कि वह गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। इसके बाद उन्हें साल 1991 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाके के मुख्य आरोपी बता कर मौत के सजा सुना दी गई। बाद में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर अमीर सरफराज लखपत जेल के अंदर वर्ष में 2013 में उनकी हत्या कर दी।
हत्यारों को बरी कर दिया गया था
दिसंबर, 2018 में एक पाकिस्तानी अदालत ने सरबजीत सिंह की हत्या के मामले में दो प्रमुख संदिग्धों अमीर सरफराज उर्फ तांबा और मुदस्सर को उनके खिलाफ सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया। सभी गवाहों के मुकर जाने के बाद लाहौर सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। एक अधिकारी ने कहा कि अदालत में दोनों संदिग्धों के खिलाफ एक भी गवाह ने गवाही नहीं दी।
तांबा के कत्ल की तफ्तीश में जुटी पाकिस्तान पुलिस
पाकिस्तान की पुलिस ‘लाहौर का असली’ डॉन के नाम से कुख्यात अमीर सरफराज तांबा की हत्या की तफ्तीश में जुटी गई है। पंजाब प्रांत के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. उस्मान अनवर ने बताया कि हत्या की जांच विभिन्न पहलुओं से की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।