प्रयागराज, अभिव्यक्ति न्यूज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव से हलफनामा दाखिल करके यह जानकारी मांगी है कि क्या राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के बारे में ऐसा कोई प्रोटोकॉल है जो उन्हें अपने पदनाम या नाम के साथ ‘माननीय’ शब्द जोड़ने का हकदार बनाता है। कोर्ट ने मामले को एक अक्टूबर 2024 के लिए सूचीबद्ध करते हुए निबंधक (अनुपालन) को उक्त आदेश की प्रति प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

हाईकोर्ट में मौसमी संग्रह अमीन के मामले की सुनवाई के दौरान उठा मुद्दा

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने इटावा निवासी कृष्ण गोपाल राठौर की याचिका पर मौसमी संग्रह चपरासी के मामले में सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित सिद्धांत है कि मंत्रियों तथा अन्य संप्रभु पदाधिकारियों के नाम के साथ ‘माननीय’ शब्द उपसर्ग के रूप में लगाया जाता है, लेकिन राज्य सरकार में सेवारत सचिवों के लिए भी यही बात लागू होती है या नहीं, इस संदर्भ में कोई निश्चित सूचना नहीं है।

डीएम इटावा ने लिखा था माननीय आयुक्त

दरअसल कोर्ट ने मामले में कानपुर के मंडलायुक्त को इटावा के जिलाधिकारी द्वारा ‘माननीय आयुक्त’ कहकर संबोधित करने पर हैरानी जताते हुए कहा कि कई आधिकारिक पत्राचारों में राज्य के विभिन्न रैंक के अधिकारियों के नाम के साथ ‘माननीय’ शब्द जोड़कर नियमित रूप से उल्लेख करना कहां तक उचित है। इस संबंध में जिलाधिकारी, इटावा से भी एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है।

सरकारी अधिवक्ता से भी निर्देश लेने को दिया आदेश

इसके साथ ही कोर्ट ने याची के मामले में सरकारी अधिवक्ता को निर्देश लेने के लिए कहा है कि याची से जूनियर कर्मचारियों को मौसमी संग्रह चपरासी की श्रेणी में सेवा में रखा गया है या नहीं, क्योंकि याची को इस श्रेणी में ना तो रखा गया है और ना ही नियुक्त किया गया है। मामले को एक अक्टूबर 2024 के लिए सूचीबद्ध करते हुए निबंधक (अनुपालन) को उक्त आदेश की प्रति प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

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