प्रयागराज, अभिव्यक्ति न्यूज। गाजियाबाद के अधिवक्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में अधिवक्ता सोमवार को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने रविवार को बैठक में सोमवार को न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। कार्यकारिणी ने यह भी निर्णय लिया है कि गाजियाबाद के जिला न्यायाधीश अनिल कुमार-X के विरुद्ध हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आपराधिक अवमानना का वाद दाखिल किया जाएगा। जिला न्यायाधीश और संबंधित पुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने और घायल अधिवक्ताओं को अविलंब क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करने की भी मांग की गई है।

गाजियाबाद कोर्ट में अधिवक्ताओं को खदेड़ते पुलिस कर्मी। (फाइल फोटो)।

अधिवक्ताओं को प्रताड़ित करने का किया जा रहा कार्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का मानना है कि अधिवक्ताओं को प्रताड़ित करने का कार्य किया जा रहा है। उन्हें किसी भी तरह से अपनी बात कहने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। अब स्थिति असहनीय हो गई है। गाजियाबाद में जिला न्यायाधीश द्वारा पुलिस बुलाकर न्यायालय कक्ष में अधिवक्ताओं पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करने की कड़ी भर्त्सना करते हुए बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट से इस संबंध में ठोस कदम उठाने को कहा है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न घटित हों। यह जानकारी बार एसोसिएशन के महासचिव विक्रांत पांडेय ने दी है।

अधिवक्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ दाखिल की याचिका

गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने कोर्ट परिसर में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज और हिंसा की एसआईटी जांच की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। आपराधिक रिट याचिका में संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत शक्तियों का प्रयोग करके जिला मजिस्ट्रेट को कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी अनुरोध किया गया है। गौरतलब है कि लाठीचार्ज की घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें पुलिस अधिकारियों को कोर्ट रूम के अंदर अधिवक्ताओं को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करते देखा जा सकता है। वहीं अधिवक्ताओं को कुर्सियां फेंकते हुए भी देखा जा सकता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जिला न्यायाधीश ने पुलिस अधिकारियों को अधिवक्ताओं पर गोली चलाने का निर्देश देते हुए अपने अधिकार क्षेत्र का पूरी तरह से अतिक्रमण किया और अपने पद की गरिमा के विपरीत काम किया। साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट तथा उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के भी विपरीत है।

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