लखनऊ, अभिव्यक्ति न्यूज। चर्चिच सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी देवेंद्र किशोर पंडा उर्फ डीके पंडा दूसरी राधा के साथ साइबर जालसाजों ने आठ लाख रुपये ठगने का प्रयास किया। साइबर ठगों ने निवेश में 381 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का हवाला देकर आठ लाख रुपये की मांग की। रिटायर्ड आईजी ने ठगी का आभास होने पर रुपये देने से इनकार कर दिया। इस पर जालसाज ने गाली-गलौज करते हुए धमकी दी कि वह उनके रुपयों को टेरर फंडिंग में लगा देगा। रिटायर्ड आईजी ने प्रयागराज के धूमनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
डीके पंडा पहले दूसरी राधा बने और फिर कृष्णानंद
मूल रूप से उड़ीसा निवासी डीके पंडा 1971 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। उन्होंने पुलिस की नौकरी में ही रहते हुए खुद को दूसरी राधा घोषित कर दिया था। वह राधा की तरह ही श्रृंगार करने लगे। शासन की ओर से आपत्ति होने पर उन्होंने नौकरी छोड़ दी पूरी तरह से दूसरी राधा बन गये थे। वह 2015 में दूसरी राधा का रूप त्याग कर कृष्णानंद बन गए। नौकरी छोड़ने के बाद अपनी हरकतों से चर्चा में आए रिटायर्ड आईपीएस अफसर डीके पंडा प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र के एडीए कॉलोनी प्रीतम नगर में रहने लगए।
साइप्रस से आई कॉल, बताया निवेश में 381 करोड़ का हुआ है फायदा
रिटायर्ड आईपीएस अफसर पंडा का आरोप है कि उनके पास निकोसिया, साइप्रस से (मोबाइल नंबर 447881 466796 से) व्हाट्सएप कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद को आरव शर्मा बताया और कहा कि भारत में वह राजस्थान का रहने वाला है और साइप्रस की साईसेक कंपनी में काम करता है। जालसाज ने कहा कि ऑनलाइन निवेश के जरिये उन्हें 381 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है, लेकिन टैक्स और मनी ट्रांसफर में होने वाले खर्च के रूप में उसे आठ लाख रुपये का भुगतान किया जाए। डीके पंडा को जालसाज की बातों पर शक हुआ तो उन्होंने आठ लाख रुपये से देने से इनकार कर दिया। इस पर वह उन्हें धमकाने लगा।
रिटायर्ड आईपीएस का पैसा टेरर फंडिंग में लगाने की दी धमकी
रिटायर्ड आईजी पंडा का आरोप है कि साइबर ठग जब अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका तो उसने धमकाना शुरू कर दिया। कहा कि निवेश के जरिये जो धनराशि उन्होंने कमाई वह टेरर फंडिंग में इस्तेमाल करेगा। इसमें वह उनके पासपोर्ट, आधार कार्ड और पैन कार्ड का इस्तेमाल करेगा। रिटायर्ड आईजी ने प्रयागराज के धूमनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए मांग की है कि पूरे मामले की सीबीआई या एनआईए से जांच कराई जाए, क्योंकि इसमें टेरर फंडिंग जैसी बात सामने आ रही है। फिलहाल पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने के बाद साइबर क्राइम सेल की मदद से मामले की जांच शुरू कर दी है।